।। सत्संग दीक्षा।।

246

हरेर्गुरोर्विशिष्टानां प्रसङ्गानां दिनेषु च।

सत्सङ्गिभिर्यथाशक्ति कार्याः पर्वोत्सवा जनैः॥२४६॥

According to their means, satsangis should celebrate festivals to commemorate the special days related to Shri Hari and the gurus. (246)

सत्संगीजन श्रीहरि तथा गुरु के विशिष्ट प्रसंगों के दिन यथाशक्ति पर्वोत्सव करें। (२४६)

247

सवाद्यं कीर्तनं कार्यं पर्वोत्सवेषु भक्तितः।

महिम्नश्च कथावार्ता करणीया विशेषतः॥२४७॥

During festivals, satsangis should devoutly sing kirtans to the accompaniment of instruments and especially discourse on the glory [of God and guru]. (247)

पर्वोत्सव में भक्तिपूर्वक वाद्ययंत्रों के साथ कीर्तन करें तथा विशेष रूप से महिमा की बातें करें। (२४७)

248

चैत्रशुक्लनवम्यां हि कार्यं श्रीरामपूजनम्।

कृष्णाऽष्टम्यां तु कर्तव्यं श्रावणे कृष्णपूजनम्॥२४८॥

On the day of Chaitra sud 9, one should offer pujan to Ramchandra Bhagwan. On the day of Shravan vad 8, one should offer pujan to Krishna Bhagwan. (248)

चैत्र शुक्ल नवमी के दिन भगवान श्रीरामचंद्रजी का पूजन करें। श्रावण कृष्ण अष्टमी (पूर्णिमांत महीनों के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) के दिन भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें। (२४८)

249

शिवरात्रौ हि कर्तव्यं पूजनं शङ्करस्य च।

गणेशं भाद्रशुक्लायां चतुर्थ्यां पूजयेत् तथा॥२४९॥

On Shivratri, one should offer pujan to Shankar Bhagwan. On Bhadarva sud 4, one should offer pujan to Ganpati. (249)

शिवरात्रि के दिन शंकर भगवान का पूजन करें। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणपतिजी का पूजन करें। (२४९)

250

मारुतिम् आश्विने कृष्ण-चतुर्दश्यां हि पूजयेत्।

मार्गे मन्दिरसंप्राप्तौ तद्देवं प्रणमेद् हृदा॥२५०॥

On Aso vad 14, one should offer pujan to Hanumanji. One should devoutly bow to the deities of any mandir that one comes across. (250)

आश्विन कृष्ण चतुर्दशी (पूर्णिमांत महीनों के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन हनुमानजी का पूजन करें। मार्ग में कोई मंदिर आए, तो उस देव को भावपूर्वक प्रणाम करें। (२५०)